नाशमायान्ति सर्वत्र कवचस्यास्य कीर्तनात् ॥राजश्रियं देहि यच्छ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः स्वाहा ।”दीन विहीन करैं नित सेव�… Read More