The Ultimate Guide To maha kali kavach

नाशमायान्ति सर्वत्र कवचस्यास्य कीर्तनात् ॥

राजश्रियं देहि यच्छ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः स्वाहा ।”

दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥

श्रीसदाशिवऋषये नमः शिरसी उष्णिक् छन्दसे नमः मुखे

श्रुणु नारद वक्ष्यामि महाविद्यां दशाक्षरीम् I 

शवासनस्थितां कालीं मुण्डमालाविभूषिताम्।

काली पूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविधाः प्रभो ।

भूमौ शत्रून् हीनरूपानुत्तराशिरसस्तथा ।



ध्यायेत् कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीं।

यया get more info शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः।

ॐ ह्रीं कालिकायै स्वाहा मम पृष्ठं सदाऽवतु ।

सप्तद्वीपेश्वरो राजा सुचन्द्रोSस्य प्रसादतः I

माता होकर पुत्र खिलावे, भार्या होकर भोग करे, संतन सुखदाई सदा सहाई, संत खड़े जयकार करे ।

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